नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन ने सोमवार को एकजुट होकर सड़क पर उतरने का बड़ा प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक पैदल मार्च करने का प्रयास किया। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर ही बैरिकेड लगाकर मार्च को रोक दिया और कई वरिष्ठ विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया।
मार्च में विपक्ष के दिग्गज नेता शामिल
मार्च में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और सागरिका घोष, एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव, कांग्रेस की कुमारी शैलजा, और आप सांसद संजय सिंह समेत तृणमूल, डीएमके, एनसीपी, सपा और अन्य विपक्षी दलों के सैकड़ों सांसद शामिल हुए।
सांसदों ने सफेद रंग की टोपी पहन रखी थी जिस पर ‘SIR’ और ‘वोट चोरी’ लिखा था, साथ ही लाल रंग से क्रॉस का निशान बना था। संसद के मकर द्वार पर राष्ट्रगान के साथ विरोध की शुरुआत हुई, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने “वोट चोरी बंद करो” के नारे लगाते हुए पैदल मार्च शुरू किया।
पुलिस ने रोका, हुई नोकझोंक
आज जब हम चुनाव आयोग से मिलने जा रहे थे, INDIA गठबंधन के सभी सांसदों को रोका गया और हिरासत में ले लिया गया।
वोट चोरी की सच्चाई अब देश के सामने है।
यह लड़ाई राजनीतिक नहीं – यह लोकतंत्र, संविधान और ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के अधिकार की रक्षा की लड़ाई है।
एकजुट विपक्ष और देश का हर… pic.twitter.com/SutmUirCP8
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 11, 2025
दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर बैरिकेड लगाकर मार्च को रोक दिया। इस दौरान कई नेताओं और पुलिस के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बैरिकेड फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश करते नजर आए और बोले —
“हम वोट बचाने के लिए बैरिकेड फांद रहे हैं। जिन लोगों ने वोट काटे हैं, उनके खिलाफ चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए।”
पुलिस ने निषेधाज्ञा उल्लंघन का हवाला देते हुए नेताओं को बस में बैठाकर संसद मार्ग थाने ले जाया, जहां कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। हिरासत में लिए जाने के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा —
“यह सरकार डरी हुई है। विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाया जा रहा है।”
राहुल गांधी: यह संविधान को बचाने की लड़ाई
मार्च के दौरान राहुल गांधी ने कहा —
“सच्चाई देश के सामने है। यह लड़ाई राजनीतिक नहीं है, यह संविधान को बचाने की लड़ाई है, ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ की लड़ाई है। हमें एक साफ-सुथरी और सही मतदाता सूची चाहिए।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया —
“भाजपा की कायराना तानाशाही नहीं चलेगी। यह जनता के वोट के अधिकार को बचाने की लड़ाई है। अगर सरकार हमें चुनाव आयोग तक पहुंचने नहीं देती, तो उसे किस बात का डर है?”
कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा —
“चुनाव आयोग वोट चोरी करवा रहा है और सीनाजोरी भी कर रहा है। बिहार में 65 लाख वोट काटे गए हैं, न सूची दी जा रही है, न कारण बताया जा रहा है। राहुल गांधी की यह मुहिम अब पूरे देश में फैलेगी।”
‘वोट चोरी मॉडल’ का आरोप
यह विरोध प्रदर्शन राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त को बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची के आंकड़े सार्वजनिक करने के बाद हुआ। राहुल गांधी ने दावा किया था कि वहां 1,00,250 मतों की चोरी की गई, जबकि बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट 2019 में भाजपा ने सिर्फ 32,707 वोटों के अंतर से जीती थी।
राहुल का आरोप था कि यही ‘वोट चोरी मॉडल’ देशभर में लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम इस तरह हटाए जाते रहे, तो लोकतंत्र पर सीधा हमला होगा।
बिहार में SIR पर सवाल
विपक्षी दलों ने बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया के नाम पर मतदाता सूचियों से लाखों वास्तविक मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं, और पूरी पारदर्शिता के साथ यह काम नहीं किया जा रहा।
विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग को इस मामले की स्वतंत्र जांच करानी चाहिए और सभी हटाए गए मतदाताओं की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। साथ ही, भविष्य में मतदाता सूचियों को डिजिटल सत्यापन और सार्वजनिक ऑडिट के माध्यम से पारदर्शी बनाने की मांग भी उठाई गई।
चुनाव आयोग के समक्ष रखी गईं मांगें
मार्च के दौरान विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई थी, जिसमें उनकी मुख्य मांगें थीं:
मतदाता सूची में हुई गड़बड़ियों की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच।
हटाए गए सभी मतदाताओं की पूर्ण सूची सार्वजनिक करना।
तकनीकी और डिजिटल साधनों के माध्यम से वोटर वेरिफिकेशन सुनिश्चित करना।
किसी भी पुनरीक्षण प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप रोकना।
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
विपक्षी नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो यह आंदोलन और तेज किया जाएगा और इसे देशव्यापी अभियान का रूप दिया जाएगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा —
“यह केवल बिहार या कर्नाटक का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश का लोकतांत्रिक संकट है। अगर मतदाता सूची में पारदर्शिता नहीं होगी, तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।”
राजनीतिक महत्व
चुनाव से पहले मतदाता सूची पर विवाद का यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है। मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप सीधे चुनाव की निष्पक्षता और जनादेश की वैधता पर सवाल उठाते हैं, जिससे चुनावी माहौल में विपक्ष को जनता के बीच संवाद बनाने का मौका मिलेगा।