Friday, August 8, 2025
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राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप: लोकतंत्र के स्तंभों पर उठाए गंभीर सवाल

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र “एक व्यक्ति, एक वोट” की नींव पर खड़ा है, लेकिन मौजूदा व्यवस्था में यह नींव ही हिलाई जा रही है। राहुल गांधी का दावा है कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर देश में चुनावों की निष्पक्षता को खत्म कर रहा है।

🔴 क्या कहा राहुल गांधी ने?

राहुल गांधी ने कहा, “हमारा संविधान हर नागरिक को समान वोटिंग अधिकार देता है। परंतु आज यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या हर पात्र नागरिक को वोट डालने का अधिकार मिल पा रहा है? क्या वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ हो रही है?” उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जानबूझकर डिजिटल डेटा नहीं दे रहा ताकि पारदर्शिता से बचा जा सके।

⚠️ राहुल गांधी ने उठाए 5 प्रमुख सवाल:

नेता प्रतिपक्ष ने देशभर में चुनावी प्रक्रियाओं से जुड़ी 5 प्रमुख गड़बड़ियों की ओर इशारा किया:

  1. डुप्लीकेट वोटर्स: एक ही व्यक्ति के नाम से अलग-अलग जगह वोट दर्ज।

  2. फर्जी और अमान्य पते: ऐसे पते जिनका कोई अस्तित्व नहीं, फिर भी वोट दर्ज।

  3. एक पते पर कई वोटर्स: एक ही घर में दर्जनों वोटर सूचीबद्ध।

  4. अमान्य फोटो: पहचान स्थापित करने में विफल तस्वीरें।

  5. फॉर्म 6 का गलत इस्तेमाल: नए वोटर्स को जोड़ने की प्रक्रिया में गड़बड़ी।

📊 डेटा विश्लेषण में आई मुश्किलें

राहुल गांधी ने बताया कि जब कांग्रेस ने मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट मांगी तो चुनाव आयोग ने उन्हें कागज़ी दस्तावेज़ों के लंबे-लंबे बंडल थमा दिए। उन्होंने कहा कि “अगर हमारे पास सॉफ्ट कॉपी होती तो हम 30 सेकंड में पूरे डेटा का विश्लेषण कर सकते थे, लेकिन हमें 7 फुट लंबे पेपर बंडल दिए गए जिनमें एक सीट का डेटा चेक करने में 6 महीने लगे।”

🧾 कर्नाटक का उदाहरण

उन्होंने कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट का हवाला देते हुए कहा कि यहां 1 लाख से अधिक वोटों की हेराफेरी हुई।
उन्होंने बताया कि मात्र 5 महीनों में महाराष्ट्र जैसे राज्य में जितने नए वोटर जोड़े गए, उतने पिछले 5 वर्षों में भी नहीं जोड़े गए थे। कुछ इलाकों में तो वोटर संख्या आबादी से भी अधिक थी।

🎥 सीसीटीवी और डिजिटल ट्रांसपेरेंसी पर सवाल

राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर सीसीटीवी फुटेज तक पहुंचने के नियमों में बदलाव किए और डिजिटल डेटा देने से इनकार किया। इससे पूरे चुनावी तंत्र पर संदेह उत्पन्न होता है।

📢 जनता को चाहिए पारदर्शिता

राहुल गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “जनता को पारदर्शिता का पूरा अधिकार है। कोई भी चुनावी रिकॉर्ड नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की टीम अब पूरी चुनावी प्रणाली को समझ चुकी है और बहुत जल्द इस प्रणाली की खामियों को जनता के सामने लाया जाएगा।


📌 विश्लेषण: क्या चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पारदर्शिता से दूर जा रही है?

राहुल गांधी के आरोप निश्चित रूप से गंभीर हैं। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिस पर जनता को भरोसा होता है। ऐसे में उस पर पक्षपात या गड़बड़ी के आरोप देश के लोकतंत्र को कमजोर करते हैं। राहुल गांधी द्वारा दिए गए तथ्यों की जांच जरूरी है, और चुनाव आयोग को भी पारदर्शिता के सिद्धांतों पर खरा उतरना होगा।

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