Monday, October 20, 2025
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रोहतक PGIMS में बड़ा फर्जीवाड़ा: 12वीं पास युवक बनकर कर रहा था इलाज, सिक्योरिटी ने पकड़ा

रोहतक, (वेब वार्ता)। हरियाणा के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (PGIMS), रोहतक में एक बार फिर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। इस बार मामला है एक फर्जी डॉक्टर का, जो महज 12वीं पास था और इंटर्न डॉक्टर की जगह मरीजों का इलाज कर रहा था।

फर्जी डॉक्टर की पहचान और गिरफ्तारी

पकड़े गए युवक का नाम साहद है, जो सोनीपत जिले के निजामपुर माजरा गांव का निवासी है। उसे PGIMS की ओपीडी में इलाज करते समय सिक्योरिटी गार्डों ने रंगे हाथों पकड़ा। वह खुद को इंटर्न डॉक्टर बताकर डॉक्टर का एप्रन और गले में स्टेथोस्कोप पहनकर मरीजों को देख रहा था।

जब स्टाफ को उस पर संदेह हुआ, तो उससे आईडी कार्ड मांगा गया। वह कोई वैध पहचान पत्र नहीं दिखा सका, जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने उसे हिरासत में लेकर पीजीआई थाना पुलिस को सौंप दिया

पेशेंट केयर असिस्टेंट का डिप्लोमा था पास, लेकिन इलाज कर रहा था

पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि साहद ने केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और उसके पास पेशेंट केयर असिस्टेंट (PCA) का एक साल का डिप्लोमा है। उसके पास किसी प्रकार की मेडिकल डिग्री नहीं है, फिर भी वह डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज कर रहा था।

अपने दोस्त की जगह करता था ड्यूटी

जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि आरोपी युवक डॉ. कृष्ण गहलावत नामक एक इंटर्न डॉक्टर का दोस्त है, जो फिलहाल PGIMS रोहतक में इंटर्नशिप कर रहा है। साहद उसी की जगह आकर ओपीडी में इलाज कर रहा था। अब सवाल उठता है कि ऐसा कब से चल रहा था, और क्या इसमें और भी लोग शामिल हैं?

PGIMS प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई

पीजीआई थाना प्रभारी रोशन लाल के अनुसार, आरोपी युवक और उसके इंटर्न डॉक्टर मित्र के खिलाफ धोखाधड़ी और सार्वजनिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ के आरोपों के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।

प्रशासन अब यह भी जांच कर रहा है कि कितने दिनों से यह फर्जी डॉक्टर संस्थान में सक्रिय था, और कितने मरीजों का इलाज कर चुका है।

संस्थान की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

इस घटना से रोहतक PGIMS की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अगर एक बिना डिग्री वाला व्यक्ति इतनी आसानी से ओपीडी में घुसकर इलाज कर सकता है, तो यह लाखों मरीजों की जान जोखिम में डालने जैसा है।

इससे पहले भी यह संस्थान आंसर शीट चोरी और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर चर्चा में रह चुका है।

🧾 सम्पादकीय टिप्पणी

यह घटना केवल एक व्यक्ति की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की खामियों का उदाहरण है। यदि समय रहते यह युवक पकड़ा नहीं जाता, तो कई मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती थी। यह जरूरी है कि रोहतक PGIMS जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में सुरक्षा व्यवस्था और कर्मचारी निगरानी प्रणाली को और सख्त किया जाए।

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