छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), (वेब वार्ता)। भारत की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहरों में शुमार एलोरा की गुफाएं आज एक गंभीर खतरे का सामना कर रही हैं। छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित एलोरा गुफा परिसर की गुफा संख्या 32 में पानी का रिसाव एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। इस रिसाव से नौवीं शताब्दी के दुर्लभ भित्ति चित्रों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।
▶️ एलोरा गुफाएं: सांस्कृतिक धरोहर पर संकट
एलोरा गुफाएं, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध हैं, भारत की सबसे समृद्ध कलात्मक और धार्मिक विरासतों में से एक हैं। यहां हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म की 34 गुफाएं मौजूद हैं, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला का अद्वितीय उदाहरण हैं। विशेष रूप से गुफा संख्या 32 में जैन भित्ति चित्र मौजूद हैं, जो नौवीं शताब्दी के समय के हैं।
हाल ही में आए एक पर्यटक के मुताबिक, पिछले वर्ष भी इसी प्रकार का पानी का रिसाव देखा गया था, जिसके चलते कुछ मरम्मत कार्य कराए गए थे। हालांकि, इस वर्ष दोबारा वही समस्या उत्पन्न हो गई है, जिससे साफ है कि स्थायी समाधान अब तक नहीं हुआ।
▶️ क्या कहता है पुरातत्व विभाग?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के एक स्थानीय अधिकारी ने जानकारी दी कि यह रिसाव प्राकृतिक प्रक्रिया के कारण हो रहा है, और इसे गंभीरता से लिया गया है। अधिकारी ने कहा, “हमने संरक्षण विभाग को पत्र भेज दिया है और उम्मीद है कि जल्द ही समीक्षा कर ठोस कदम उठाए जाएंगे।”
▶️ विरासत संरक्षण समूह की चिंता
विरासत संरक्षण के लिए कार्यरत संस्था ‘इंटेक’ (INTACH) के सह-संयोजक स्वप्निल जोशी ने बताया कि “एलोरा, अजंता की गुफाओं से अलग है। यहां चित्रों वाली गुफाएं कम हैं, इसलिए यदि गुफा संख्या 32 के भित्ति चित्रों को नुकसान पहुंचा, तो यह अपूरणीय क्षति होगी। हमने पहले भी ASI को इस पर पत्र लिखा है।”
जोशी का मानना है कि यदि समय रहते कार्य नहीं किया गया, तो भारत की सांस्कृतिक विरासत पर एक बड़ा दाग लग सकता है। वे यह भी सुझाव देते हैं कि गुफा की छत, जल निकासी प्रणाली और जलधारण क्षमता की वैज्ञानिक जांच कराकर संरक्षण कार्यों को गति दी जानी चाहिए।