नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत में साइबर फ्रॉड के मामलों में लगातार बढ़ती गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। बुधवार सुबह ईडी ने दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 11 विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की। यह अभियान एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह के खिलाफ चल रहे जांच का हिस्सा है, जिसने भारतीय और विदेशी नागरिकों से करोड़ों की ठगी की थी।
🔍 क्या है मामला?
ईडी द्वारा की गई छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई, जो कि सीबीआई और दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर की जा रही जांच से जुड़ी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ठग खुद को पुलिस अधिकारी, जांच एजेंसी प्रतिनिधि, या फिर माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी कंपनियों के टेक्निकल स्टाफ के रूप में पेश कर लोगों से ठगी कर रहे थे।
🎯 ठगी का तरीका
पीड़ितों को कॉल करके बताया जाता था कि उनके नाम से कोई आपराधिक गतिविधि दर्ज है, और गिरफ्तारी से बचने के लिए तत्काल भुगतान करना होगा।
कई बार तकनीकी सहायता के बहाने उनके सिस्टम में एक्सेस लेकर बैंक डिटेल्स और पर्सनल डेटा चुरा लिया जाता था।
यह धनराशि फिर क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन) में बदली जाती थी।
इसके बाद इन बिटकॉइन्स को यूएसडीटी (Tether) क्रिप्टो टोकन में बदलकर नकद में तब्दील किया जाता था।
सारा लेन-देन यूएई के हवाला ऑपरेटरों और अन्य चैनलों के माध्यम से किया गया।
💸 कितनी रकम की हुई ठगी?
ईडी की जांच में अब तक करीब 260 करोड़ रुपये की ठगी सामने आई है, जिसे अलग-अलग क्रिप्टो वॉलेट्स में ट्रांसफर किया गया। इन वॉलेट्स से धन को अमेरिका और खाड़ी देशों तक पहुंचाया गया।
📍 कहां हुई छापेमारी?
ईडी की टीमें निम्नलिखित जगहों पर कार्रवाई के लिए पहुंचीं:
दिल्ली: साइबर नेटवर्किंग कंपनियों और संदिग्ध ठिकानों पर
नोएडा और गुरुग्राम: जहां से साइबर गिरोह का संचालन हो रहा था
देहरादून: विदेशी नागरिकों को धोखा देने के आरोप में जुड़े कुछ व्यक्तियों के निवास व कार्यालयों पर
⚖️ आगे क्या?
ईडी ने कई डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज और संदिग्ध बैंक खातों को सीज कर लिया है। जांच जारी है और जल्द ही मुख्य सरगनाओं की पहचान व गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है। इस पूरे प्रकरण ने देश में साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल ट्रांजैक्शन की सुरक्षा को लेकर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
🛡️ क्या है सरकार की तैयारी?
सरकार और ईडी अब ऐसे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के स्रोत तक पहुंचने और विदेशी सहयोग से गिरोहों को नष्ट करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे न केवल भारतीय नागरिकों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि भारत की साइबर साख को भी मज़बूती मिलेगी।