भिंड, मुकेश शर्मा(वेब वार्ता)। भिंड जिले के ऐतिहासिक कस्बे मौ में इस वर्ष का वृक्षारोपण एवं मौ महोत्सव मेला पर्यावरण चेतना, सामाजिक सहभागिता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक बन गया। मेले का शुभारंभ भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य और मौ नगर पालिका अध्यक्ष वंदना सज्जन सिंह यादव ने संयुक्त रूप से किया।
वातावरण में गूंजा हरियाली का संदेश
सुबह से ही मौ नगर का मेला प्रांगण जनसैलाब से भर गया। बच्चों, महिला मंडलों, व्यापारियों और स्थानीय नागरिकों की भागीदारी ने कार्यक्रम को एक जनआंदोलन में बदल दिया।
लाल सिंह आर्य और सज्जन सिंह यादव ने फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया और वृक्षारोपण कर “प्रकृति से प्रेम ही सच्चा विकास है” का संदेश दिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की पहल की सराहना
अपने प्रेरक भाषण में श्री आर्य ने कहा—
“वृक्षारोपण आज की सबसे बड़ी जरूरत है। जाति, धर्म से ऊपर उठकर पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा ही राष्ट्र सेवा है। मौ नगर की यह पहल अनुकरणीय है।”
नगरपालिका अध्यक्ष का संकल्प: “हरियाली ही पहचान बने मौ की”
श्रीमती वंदना सज्जन सिंह यादव ने कहा:
“हमारा लक्ष्य मौ नगर को हराभरा, स्वच्छ और विकसित बनाना है। यह मेला नगर को राज्यस्तरीय पहचान दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।”
5000 पौधों के रोपण का लक्ष्य
उद्घाटन दिवस पर 700 पौधे लगाए गए। अभियान की सफलता के लिए स्थानीय स्कूलों, वार्ड समितियों और स्वयंसेवी संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई है। चयनित पौधों में औषधीय, छायादार और पर्यावरण शुद्ध करने वाले पौधे शामिल हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: लोक परंपरा और पर्यावरण का संगम
लोकगीत, देशभक्ति गीत, पर्यावरण जागरूकता गीत और नाटकों ने मंच को जीवंत बना दिया।
बच्चों ने “धरती रो रही है, चलो पेड़ लगाएं” गीत पर प्रस्तुति दी।
महिला मंडल द्वारा “कचनार की छांव में बैठेंगे फिर से” लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया।
प्लास्टिक मुक्ति और जल संरक्षण पर नुक्कड़ नाटकों ने जागरूकता फैलाई।
मंच संचालन: शिक्षक राजेश शर्मा और पत्रकार अंजुम खान ने बेहतरीन ढंग से संभाला।
व्यवस्था व जनसहयोग
हरियाली, पारंपरिक तोरण द्वारों, रंग-बिरंगे झंडों से मेला प्रांगण सजाया गया।
मुख्य नारा: “आओ पेड़ लगाएं, मौ को हराभरा बनाएं!”
नगर परिषद, पुलिस, और नगर रक्षा समिति ने व्यवस्थाएं संभालीं। स्थानीय दुकानदारों और ग्रामीण महिलाओं की हेंडमेड वस्तुओं की दुकानों पर खासा उत्साह देखा गया।
समापन संदेश: प्रकृति, संस्कृति और सहभागिता का संगम
यह महोत्सव केवल उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक समर्पण बनकर उभरा है। प्रकृति संरक्षण, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना जैसे उद्देश्य जब एक मंच पर आते हैं, तो एक नया आदर्श बनता है।