Sunday, October 19, 2025
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़ें

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र शुरू: शिक्षा बिल, सीएजी रिपोर्ट और पेपरलेस हाउस बना चर्चा का केंद्र

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया और यह सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक बन गया है। यह न केवल दिल्ली विधानसभा का पहला पेपरलेस सत्र है, बल्कि अब यह सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली देश की पहली विधानसभा बन गई है। इस तकनीकी परिवर्तन और पर्यावरणीय पहल की विधायकों और मंत्रियों ने जमकर सराहना की है।

इस सत्र में शिक्षा बिल और दो महत्वपूर्ण सीएजी रिपोर्ट पेश की गईं। एक ओर जहां सत्ता पक्ष ने इसे “जनहित में ऐतिहासिक” बताया, वहीं विपक्ष ने शिक्षा बिल को “झूठा व जनविरोधी” करार दिया।

पेपरलेस विधानसभा: डिजिटल भारत की राजधानी की पहल

विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने जानकारी दी कि अब सभी दस्तावेज, रिपोर्ट, प्रतिवेदन, सदस्यों के नोटिस आदि ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होंगे। इससे न केवल कागजों की खपत कम होगी बल्कि सालाना 1.75 करोड़ रुपए की बिजली की भी बचत होगी।
500 मेगावाट के सोलर पैनल लगाकर विधानसभा को पूर्णतः ग्रीन बना दिया गया है। इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।

शिक्षा बिल पर सत्ता बनाम विपक्ष

सत्तापक्ष का दावा:
मंत्री पंकज सिंह और कपिल मिश्रा ने शिक्षा बिल को “शिक्षा में क्रांति” करार देते हुए कहा कि यह अभिभावकों को राहत देगा और प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाएगा।

विपक्ष का विरोध:
आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार और अनिल झा ने बिल को प्राइवेट स्कूलों के हित में बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल फीस बढ़ाने की छूट देता है और झुग्गी-बस्तियों के बच्चों की शिक्षा जरूरतों को नजरअंदाज करता है।

सीएजी रिपोर्ट्स से मचा सियासी भूचाल

विधानसभा में पेश की गई दो सीएजी रिपोर्टों में पूर्व सरकार के कार्यकाल के कथित घोटालों का खुलासा हुआ। भाजपा विधायक हरीश खुराना और गजेंद्र यादव ने कहा कि इन रिपोर्टों से ‘आप’ सरकार के भीम योजना, निर्माण श्रमिक कल्याण जैसे कार्यक्रमों में घोटालों की पोल खुलेगी।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

  • विधायक अशोक गोयल ने ई-विधानसभा को “तकनीक में दिल्ली की अगुवाई” बताया।

  • मंत्री रविंदर इंद्राज सिंह ने कहा कि यह सत्र “नई सोच और पारदर्शिता” का परिचायक है।

  • विधायक शिखा राय ने कहा, “अब न सिर्फ बिजली की बचत होगी, बल्कि आने वाले समय में हर राज्य को इससे सीखना चाहिए।”

निष्कर्ष

दिल्ली विधानसभा का यह सत्र जहां तकनीकी और पर्यावरणीय नवाचारों के कारण ऐतिहासिक बना, वहीं शिक्षा सुधार और भ्रष्टाचार के मुद्दे सत्ता-विपक्ष के बीच नए टकराव की वजह बने। यह सत्र न केवल डिजिटल बदलाव की मिसाल है बल्कि भारतीय लोकतंत्र के कार्य संचालन में टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता और जागरूक जनहित का प्रतिबिंब भी है।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest

More articles