कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। शासन के निर्देश पर 50 या उससे कम नामांकन वाले 178 परिषदीय विद्यालयों के युग्मन (अटैचमेंट या समायोजन) की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें से अब 74 विद्यालयों को बाहर कर दिया गया है। इसका कारण या तो एसएमसी (विद्यालय प्रबंधन समिति) की असहमति रही या फिर विद्यालयों की परस्पर दूरी शासन द्वारा तय सीमा (एक किलोमीटर) से अधिक पाई गई।
अब जिले में केवल 104 विद्यालयों का ही युग्मन किया जाएगा, जिसमें से लगभग 60 स्कूलों में विद्यार्थी पहले से ही नए विद्यालयों में जाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
युग्मन प्रक्रिया का उद्देश्य
युग्मन का उद्देश्य शिक्षा संसाधनों का बेहतर उपयोग, शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। कम नामांकन वाले विद्यालयों को नजदीकी अधिक नामांकन वाले विद्यालयों से जोड़ना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य रहा है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की टिप्पणी
डा. राम जिया वन मौर्या, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि,
“जो विद्यालय युग्मन के बाद खाली हुए हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर प्री-प्राइमरी शिक्षा (को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र) के रूप में उपयोग में लाया जाएगा। यदि पहले से वहां आंगनबाड़ी केंद्र हैं, तो ऐसे भवनों को स्थानीय जरूरत के अनुसार हेल्थ व वेलनेस सेंटर के रूप में प्रयोग में लाया जाएगा।”
कुशीनगर की परिषदीय विद्यालय व्यवस्था का संक्षिप्त आंकड़ा
कुल परिषदीय विद्यालय: 2464
प्राथमिक विद्यालय: 1640
उच्च प्राथमिक विद्यालय: 286
कंपोजिट विद्यालय: 538
युग्मन प्रक्रिया की प्रमुख बातें
प्रथम चरण में 50 या उससे कम नामांकन वाले 178 विद्यालयों की सूची तैयार की गई थी।
एक किलोमीटर की सीमा के भीतर ही युग्मन को अंतिम रूप दिया गया।
एसएमसी की असहमति या दूरी अधिक होने के कारण 74 विद्यालय हटाए गए।
अब 104 विद्यालयों का युग्मन ही विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया है।
लगभग 60 विद्यालयों में बच्चे पहले ही नए विद्यालयों में प्रवेश कर चुके हैं और नियमित रूप से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
समस्या और समाधान
कम नामांकन की समस्या शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों के अपव्यय का संकेत देती है। इसके समाधान के रूप में, सरकार ने ऐसे विद्यालयों को अन्य विद्यालयों में युग्मित करने का निर्णय लिया, जिससे एक साथ अधिक बच्चों को बेहतर शिक्षण-सुविधा मिल सके। इसके साथ ही, शिक्षकों की तैनाती और भवनों का समुचित प्रयोग सुनिश्चित किया जा रहा है।
बच्चों पर प्रभाव
इस युग्मन प्रक्रिया से एक ओर बच्चों को अधिक योग्य शिक्षकों और संसाधनों से युक्त विद्यालयों में शिक्षा मिल सकेगी, वहीं दूसरी ओर समाज में शिक्षा के प्रति विश्वास भी मजबूत होगा।
भविष्य की योजना
बेसिक शिक्षा विभाग का लक्ष्य न केवल संसाधनों का बेहतर वितरण करना है, बल्कि बचे हुए खाली भवनों का समाजहित में उपयोग सुनिश्चित करना भी है — जैसे कि आंगनबाड़ी केंद्र, हेल्थ सेंटर आदि।