Monday, October 20, 2025
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धर्मस्थल में एसआईटी की जांच तेज़, सातवें स्थान पर शुरू हुई खुदाई, अब तक मिले मानव कंकाल

धर्मस्थल (कर्नाटक), (वेब वार्ता)। कर्नाटक के प्रसिद्ध मंदिर नगर धर्मस्थल में सामूहिक कब्रों के आरोपों को लेकर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी जांच को और तेज़ करते हुए शुक्रवार को सातवें चिह्नित स्थान पर खुदाई शुरू कर दी है। इससे एक दिन पहले, छठे स्थान पर खुदाई के दौरान मानव कंकाल मिलने की पुष्टि हुई थी।


क्या है मामला?

धर्मस्थल की यह खुदाई एक गोपनीय शिकायत के आधार पर की जा रही है, जो एक पूर्व सफाईकर्मी द्वारा दर्ज कराई गई थी। उस कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि वर्ष 1995 से 2014 के बीच उसे महिलाओं और नाबालिगों समेत कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि कुछ शवों पर यौन उत्पीड़न के भी स्पष्ट निशान थे। इस आरोप को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है।


खुदाई अभियान: अब तक की प्रगति

एसआईटी अब तक 15 चिह्नित स्थानों में से 7 स्थानों पर खुदाई कर चुकी है। शुक्रवार को सातवें स्थान पर खुदाई शुरू हुई। गुरुवार को छठे स्थान पर खुदाई के दौरान मानव कंकाल मिलने से जांच की गंभीरता और बढ़ गई है।

पुलिस ने बताया कि:

  • खुदाई में अब अतिरिक्त श्रमिकों और भारी मशीनरी की मदद ली जा रही है।

  • फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम ने जांच में सक्रियता से भाग लिया है।

  • खुदाई से प्राप्त अवशेषों को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है।


फोरेंसिक टीम की राय

मंगलुरु के फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यह पुष्टि करनी है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु स्वाभाविक थी या दुर्भावनापूर्ण इरादों से हुई, तो पूर्ण या लगभग पूर्ण कंकाल आवश्यक है।

अलग-अलग हड्डियाँ या आंशिक अवशेष न्यायिक साक्ष्य के रूप में पर्याप्त नहीं माने जाते। इसलिए हर खुदाई के दौरान साइट पर विशेष निगरानी और साक्ष्य-संरक्षण का ध्यान रखा जा रहा है।


पंचायत की प्रतिक्रिया

धर्मस्थल ग्राम पंचायत के अधिकारियों ने कहा है कि 1995 से अब तक गाँव में 200 से अधिक लावारिस या अज्ञात शव दफनाए गए हैं। चूंकि स्थायी कब्रिस्तान नहीं है, इसलिए इन शवों को नदी किनारे, जंगल के पास या सरकारी भूमि पर दफनाया जाता था।


जांच के केंद्र में दस्तावेज़ और जमीनी सबूत

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि एसआईटी की जांच केवल आरोपों पर आधारित नहीं है, बल्कि दस्तावेजी साक्ष्य और ग्राउंड रिपोर्ट्स पर भी केंद्रित है।
आगे की खुदाई और जांच का मार्ग फोरेंसिक रिपोर्ट्स के परिणामों पर निर्भर करेगा।


राज्य सरकार की कार्रवाई

यह मामला तब गंभीर रूप से सामने आया जब शिकायतकर्ता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देकर अपने आरोपों की पुष्टि की। मामला ना केवल सामूहिक दफन, बल्कि यौन शोषण और संभावित हत्या जैसी जघन्य आपराधिक गतिविधियों से भी जुड़ा है।


निष्कर्ष

धर्मस्थल की पवित्र भूमि आज सामूहिक कब्रों और अपूर्ण न्याय की कहानी बयान कर रही है। राज्य सरकार, एसआईटी और फोरेंसिक विशेषज्ञों की कोशिश यही है कि इन आरोपों की सत्यता सामने लाई जाए और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए। आगे की खुदाई और रिपोर्टें निश्चित रूप से इस रहस्यमयी प्रकरण पर और रोशनी डालेंगी।

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