धनबाद, (वेब वार्ता)। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को झारखंड के धनबाद स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय खनि विद्यापीठ (IIT-ISM) के 45वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्हें अपने तकनीकी ज्ञान और नवाचारों को समाज और राष्ट्रहित में लगाने की प्रेरणा दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को वैश्विक तकनीकी महाशक्ति बनाने की दिशा में युवाओं की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि युवा केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित न रहें, बल्कि सामाजिक बदलाव के वाहक बनें।
IIT-ISM दीक्षांत समारोह में 1,880 छात्रों को मिली उपाधि
साल 2024-25 के 1,880 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 1,055 स्नातक और 711 स्नातकोत्तर छात्र शामिल रहे। इसके अलावा, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बी.टेक छात्र प्रियांशु शर्मा को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से नवाजा गया।
राष्ट्रपति ने किया शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डाक टिकट और विशेष लिफाफा जारी
इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति ने संस्थान के 100 गौरवशाली वर्षों की स्मृति में एक विशेष डाक टिकट और स्मारक लिफाफा भी जारी किया।
उन्होंने कहा,
“एक न्यायपूर्ण, हरित और सतत भारत के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करें, जहां विकास प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की कीमत पर न हो।”
स्टार्टअप, नवाचार और आदिवासी सशक्तिकरण पर जोर
राष्ट्रपति ने छात्रों से स्टार्टअप संस्कृति को अपनाने और नवाचार में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने संस्थान द्वारा चलाए जा रहे “आदिवासी विकास उत्कृष्टता केंद्र” और वंचित महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयासों की प्रशंसा की।
आईआईटी-आईएसएम की ऐतिहासिक यात्रा
आईआईटी-आईएसएम की स्थापना 9 दिसंबर 1926 को भारतीय खान एवं अनुप्रयुक्त भूविज्ञान विद्यालय के रूप में हुई थी। यह संस्थान लंदन के रॉयल स्कूल ऑफ माइंस की तर्ज पर बनाया गया था ताकि भारत के खनन उद्योग को विशेषज्ञ पेशेवर मिल सकें।
संस्थान की आधारशिला डेविड पेनमैन के दूरदर्शी नेतृत्व में रखी गई थी और इसका औपचारिक उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था।
यह दीक्षांत समारोह क्यों था खास?
यह दीक्षांत समारोह संस्थान के शताब्दी वर्ष समारोह का प्रमुख हिस्सा था, जो शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 100 वर्षों के योगदान को रेखांकित करता है।
आईआईटी-आईएसएम के इतिहास में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दूसरी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने इस समारोह में भाग लिया है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी वर्ष 2014 में 36वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि रहे थे।
निष्कर्ष
राष्ट्रपति मुर्मू का यह संदेश स्पष्ट रूप से बताता है कि भारत को तकनीकी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की जिम्मेदारी अब युवाओं के कंधों पर है। उनकी यह प्रेरणादायक बात न केवल विद्यार्थियों बल्कि समूचे देश के लिए दिशा-निर्देशक है।
President Droupadi Murmu graced the convocation ceremony of the Indian Institute of Technology (Indian School of Mines) Dhanbad. The President said that IIT-ISM has an important role in the overall development of the country. Apart from preparing excellent engineers and… pic.twitter.com/MBRQtW3Pqn
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 1, 2025
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