-बीपी गौतम-
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सनक के चलते विश्वभर में टैरिफ वार छिड़ा हुआ है। अधिकांश देश आयात-निर्यात को लेकर आशंकित दिखाई दे रहे हैं, ऐसे वातावरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टैरिफ वार का हिस्सा बनना उचित नहीं समझा, उन्होंने भारत के हित को सर्वोपरि रखते हुये अपनी अलग नीति तैयार की, जिसके अनुसार वे छोटे-बड़े देशों के साथ सीधे न सिर्फ वार्ता कर रहे हैं बल्कि, व्यापारिक समझौते भी कर रहे हैं, इसी क्रम में उन्होंने ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा की, इस यात्रा के दौरान कई अहम समझौते हुये हैं, जिनका आने वाले समय में क्रांतिकारी असर दिखाई देगा, जिससे चिढ़ कर डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है, इसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं बीपी गौतम…
एफटीए से भारत और ब्रिटेन में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा
भारत-ब्रिटेन व्यापार और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) जैसे द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों पर निगरानी और समीक्षा करने वाली प्रतिष्ठित भारतीय और ब्रिटिश एजेंसियों व संस्थानों का मानना है कि भारत और ब्रिटेन के बीच संपन्न हुआ ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) मात्र दो देशों के बीच व्यापार बढ़ाने तक सीमित नहीं है, इससे वैश्विक रणनीतिक समीकरण, निवेश के प्रवाह, रोजगार के अवसर और उपभोक्ताओं के अनुभवों में भी व्यापक परिवर्तन की संभावना है। यह समझौता न सिर्फ उद्योगों और व्यापारियों के लिये नये द्वार खोलेगा बल्कि, आम भारतीय को भी सस्ते उत्पादों, बेहतर सेवाओं और नये रोजगार के अवसरों के रूप में सीधा लाभ पहुंचायेगा।
रिसर्च एंड इनफॉरमेशन सिस्टम्स फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) और ब्रिटिश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता एक विन-विन करार है, जो केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, डिजिटल इकोनॉमी और रणनीतिक साझेदारी के केन्द्र में स्थापित करता है। यह समझौता भविष्य में भारत की एफटीए कूटनीति की दिशा तय करने वाला मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है और विश्व को यह संदेश देता है कि भारत अब सिर्फ उभरती अर्थव्यवस्था नहीं बल्कि, नीति-निर्माता वैश्विक शक्ति बन रहा है। इंडियन ट्रेड पॉलिसी रिव्यू मैकेनिज्म (आईटीपीआरएम) का आंकलन है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत को भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से कई लाभ मिल सकते हैं। वैश्विक व्यापारिक शक्ति के रूप में भारत की छवि निखरेगी, इस समझौते से भारत की छवि एक उदारीकृत, विश्वसनीय और सहयोगी व्यापारिक राष्ट्र के रूप में मजबूत होगी। विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने की भारत की क्षमता बढ़ेगी, जिससे आने वाले समय में अमेरिका, यूरोपीय संघ और खाड़ी देशों के साथ वार्ता में भारत को अधिक प्रभाव मिलेगा। निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा मिलेगा। ब्रिटेन में भारतीय उत्पादों जैसे वस्त्र, रसायन, फार्मा, ऑटो-पुर्जे, खाद्य वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क में कटौती से भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी, इससे भारत का निर्यात बढ़ेगा और देश का ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि होगी। ब्रिटिश कंपनियों को भारत में आने की प्रक्रिया आसान होगी, जिससे निर्माण, रिटेल, शिक्षा और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा, इससे स्थानीय उद्योगों में तकनीक, प्रबंधन और पूंजी का संचार होगा, जो भारत के औद्योगिक विकास को गति देगा। ब्रिटिश निवेश और व्यापारिक विस्तार से देश में विशेषकर युवा आबादी के लिये रोजगार के नये अवसर बनेंगे। शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में सहयोग से कौशल विकास के नये कार्यक्रम और प्रशिक्षण संस्थान भी आ सकते हैं। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मजबूती मिलेगी, इस समझौते से घरेलू उद्योगों को नये बाजार और उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट्स सुलभ होंगे, इससे मेक इन इंडिया अभियान को प्रोत्साहन मिलेगा और भारत वैश्विक विनिर्माण हब बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो सकेगा। यह समझौता भारत को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ढांचे से अलग द्विपक्षीय स्तर पर अपनी शर्तों पर समझौते करने की रणनीतिक छूट देता है, इससे भारत का आर्थिक कूटनीतिक प्रभाव और नीतिगत आत्मनिर्भरता दोनों बढ़ेंगे। तकनीकी और शिक्षा क्षेत्र में प्रगति के नये दरवाजे खुलेंगे। ब्रिटेन की तकनीकी संस्थायें, विश्वविद्यालय और रिसर्च लैब्स अब भारत के साथ अधिक खुले ढंग से सहयोग कर सकेंगी, इससे भारत में अनुसंधान, नवाचार और उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ेगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशंस (एफआईईओ) से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क कटौती निर्यात बढ़ाने में काफी लाभदायक होगी। भारत को ब्रिटेन की विशाल उपभोक्ता अर्थव्यवस्था में अधिक प्रतिस्पर्धी तरीके से प्रवेश मिलेगा। रेडीमेड गारमेंट्स, ज्वैलरी, फार्मास्युटिकल्स, मशीनरी और आईटी सर्विसेज जैसे क्षेत्रों में टैरिफ कम होने से भारत के निर्यातकों को सीधा लाभ होगा, इसी तरह यूके डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस एंड ट्रेड (डीबीटी) के अनुसार इस समझौते से ब्रिटिश कंपनियों को बृहद भारतीय भारतीय बाजार मिलेगा। विशेष रूप से तेजी से बढ़ते मिडिल क्लास बाजार में पांव जमाने का अवसर मिलेगा। ब्रिटेन की स्कॉच व्हिस्की, हाई-एंड कारें, फाइनेंशियल सर्विसेज और एजुकेशन सेक्टर को भारत में प्रवेश और विस्तार के लिये सरल और लागत प्रभावी रास्ता मिलेगा, इससे ब्रिटिश निवेशकों को भी भारत में अधिक अवसर मिलेंगे।
यूके ट्रेड पॉलिसी ऑब्जर्वेटरी के वरिष्ठ व्यापार विश्लेषक एडवर्ड हंट का कहना है कि ब्रिटेन के लिये यह समझौता ब्रेक्सिट के बाद का सबसे रणनीतिक एफटीए है। भारत के विशाल उपभोक्ता और डिजिटल बाजार तक पहुंच बनाने के लिये यह एक ऐतिहासिक अवसर है। विशेष रूप से फाइनेंशियल सर्विसेज और शिक्षा क्षेत्र को बड़ा फायदा होगा। समझौते के तहत दोनों देशों के बीच निवेश बढ़ना भी लगभग तय है। समझौते में निवेश सुरक्षा और विवाद समाधान तंत्र को भी सम्मिलित किया गया है, जिससे दोनों देशों के उद्योगपतियों को दीर्घकालिक स्थिरता और भरोसे का वातावरण मिलेगा। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार यह समझौता भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ व्यवस्था बनने के लक्ष्य में मददगार सिद्ध होगा, वहीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री की टिप्पणी थी कि यह समझौता दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों को 21वीं सदी की कारोबारी साझेदारी में रूपांतरित करेगा।
अमेरिका सहित विश्व होगा प्रभावित
अमेरिका और भारत के बीच अब तक कोई पूर्ण एफटीए नहीं हुआ है। ब्रिटेन के साथ हुये इस समझौते को देखकर अमेरिका भारत के साथ व्यापार सहयोग को पुनर्संतुलित कर सकता है, साथ ही अमेरिका यूके के साथ अपने ट्रांस अटलांटिक व्यापार संबंधों को भारत के साथ यूके की नई निकटता के संदर्भ में पुनर्मूल्यांकित कर सकता है। भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के साथ इंडस ईसीटीए और कनाडा के साथ प्रस्तावित एफटीए वार्ता की है। यूके के साथ हुआ यह समझौता मॉडल एग्रीमेंट के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जिससे भारत अन्य देशों से भी समान या, बेहतर शर्तों की मांग कर सकता है। भारत जैसे विकासशील देश का एक विकसित देश के साथ संतुलित और लाभकारी एफटीए करना दक्षिणी देशों के लिए एक प्रेरणा मॉडल बन सकता है, इससे वैश्विक दक्षिण की सौदेबाजी की शक्ति मजबूत हो सकती है, वे अपने व्यापारिक हितों को वैश्विक पटल पर अधिक मजबूती से रख सकेंगे। ब्रिटेन ने ब्रेक्सिट के बाद राष्ट्रमंडल देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की रणनीति अपनाई है। भारत के साथ यह समझौता इस दिशा में प्रारंभिक और प्रतीकात्मक सफलता है, इससे अन्य राष्ट्रमंडल देश जैसे नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया भी ब्रिटेन के साथ व्यापारिक रिश्तों में पुनर्समीक्षा कर सकते हैं। जानकारों का कहना है कि इस समझौते को सिर्फ दो देशों के बीच का आर्थिक सहयोग न मानकर भविष्य की वैश्विक आर्थिक दिशा के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
व्यापारिक नेताओं से मिले पीएम
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर बताया कि उन्होंने चेकर्स में व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत की। भारत-यूके सीईटीए पर हस्ताक्षर से व्यापार और निवेश के नये रास्ते खुले हैं। यह हमारी आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर के बाद भारत और ब्रिटेन के व्यापारिक नेताओं से मुलाकात की। बैठक में दोनों पक्षों के कई क्षेत्रों के प्रमुख उद्योग प्रमुख उपस्थित थे। दोनों नेताओं ने उन्हें व्यापार, निवेश और नवाचार साझेदारी को गहरा करने के लिए सीईटीए से निकलने वाले अवसरों की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिये प्रोत्साहित किया। सीईटीए के मूर्त लाभों पर प्रकाश डालते हुये, दोनों नेताओं ने दोनों देशों के प्रमुख उत्पादों और नवाचारों की एक प्रभावशाली श्रृंखला वाली एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनियों में रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, गुणवत्ता वाले उपभोक्ता उत्पाद और उन्नत तकनीकी समाधान शामिल थे।
पीयूष गोयल और जोनाथन रेनॉल्ड्स ने किये हस्ताक्षर
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की देख-रेख में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और यूके के व्यापार एवं वाणिज्य राज्य मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के बीच ऐतिहासिक भारत-यूके व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। यह ऐतिहासिक समझौता प्रमुख क्षेत्रों में टैरिफ कम करके दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग को बढ़ाएगा… यह नवाचार और प्रौद्योगिकी सहयोग को भी मजबूत करेगा।
उग्रवाद और कट्टरपंथ खतरा: मिस्री
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं को आतंकवाद के खतरे पर भी विस्तार से चर्चा करने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत के लोगों को यूनाइटेड किंगडम की तरफ से दिये गये मजबूत समर्थन और एकजुटता के लिये यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, इस बात पर जोर दिया गया कि उग्रवाद और कट्टरपंथ दोनों समाजों के लिये खतरा हैं और आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ के इन संकटों से निपटने के लिये द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक अपराधियों और भारतीय कानून से भगोड़ों को न्याय के कटघरे में लाने के लिये यूके का सहयोग भी मांगा। लंदन में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि सीबीआई और यूके राष्ट्रीय अपराध एजेंसी के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का उद्देश्य भ्रष्टाचार, गंभीर धोखाधड़ी और संगठित अपराध की घटनाओं से निपटना है।
स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बने पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, इस दौरान मोहम्मद मुइज्जू ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और आभार जताया। मालदीव की राजधानी माले में रिपब्लिक स्क्वायर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मुइज्जू के साथ मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित 50 मिनट से अधिक समय के कार्यक्रम को देखा। समारोह में सैन्य परेड और बच्चों एवं पारंपरिक कलाकारों द्वारा रंगा-रंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं।
पीएम मोदी एक अद्भुत व्यक्ति हैं: मुइज्जू
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को भारत-मालदीव संबंधों को मजबूत करने में पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका की सराहना की, इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले दिनों में द्विपक्षीय संबंध और भी मजबूत होंगे। राष्ट्रपति मुइज्जू ने माले में पत्रकारों से बात करते हुये कहा कि पीएम मोदी एक अद्भुत व्यक्ति हैं, जो भारत के पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं। मुइज्जू ने कहा कि मालदीव और भारत के बीच सदियों पुराने बहुत अच्छे संबंध हैं। मुझे यकीन है कि आने वाले दिनों में यह और भी मजबूत होंगे।
यूपीआई समझौते के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि इससे मालदीव और भारत आने-जाने वाले लोगों को बहुत फायदा होगा। मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें इससे काफी उम्मीदें हैं और यह जल्द ही पूरा हो सकता है, इस साल भारत आने की अपनी योजना के बारे में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा। मुझे नहीं पता कि इस साल होगा या, नहीं लेकिन, शायद निकट भविष्य में। हम सभी ने देखा है कि भारत ने अतीत में मालदीव की कैसे मदद की है और इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होगा कि आगे चलकर भारत एक बहुत ही महत्वपूर्ण साझेदार होगा।
मालदीव के साथ हुये कई अहम समझौते
पीएम नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय दौरे के दौरान भारत और मालदीव के बीच कई अहम समझौते हुये, इनमें व्यापार, कृषि, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण से जुड़ी पहलें सम्मिलित हैं, जो मालदीव के विकास को नई रफ्तार देंगी, साथ ही दोनों पक्षों ने यूपीआई, रुपे कार्ड और स्थानीय मुद्रा में व्यापार की शुरुआत का स्वागत किया। प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और द्विपक्षीय निवेश संधि पर भी चर्चा हुई, जिससे व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे। बैठक में मछली पालन, मौसम विज्ञान, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फार्माकोपिया और 4850 करोड़ रुपये की नई क्रेडिट लाइन सहित कुल 6 समझौते हुये, इससे मालदीव का सालाना कर्ज भुगतान 40% कम हुआ है।
भारत-मालदीव के बीच हुआ मत्स्य पालन समझौता
भारत और मालदीव ने मत्स्य पालन सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये, इससे मालदीव को अपनी मछली प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाने और टिकाऊ टूना मछली पकड़ने को मजबूत करने में मदद मिलेगी, साथ ही भारत को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में गहरे समुद्र में मत्स्य पालन संसाधनों तक बेहतर पहुंच प्रदान होगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत के मत्स्य विभाग और मालदीव के मत्स्य एवं महासागर संसाधन मंत्रालय के बीच समझौते का उद्देश्य टिकाऊ टूना और गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देना, जलीय कृषि और संसाधन प्रबंधन को मजबूत करना और मत्स्य पालन आधारित इको-पर्यटन को बढ़ावा देना है। साझेदारी के तहत मालदीव शीत भंडारण अवसंरचना में निवेश करके तथा हैचरी विकास, बेहतर उत्पादन दक्षता और संवर्धित प्रजातियों के विविधीकरण के माध्यम से जलीय कृषि को मजबूत करके मछली प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह सहयोग दोनों देशों की अधिक लचीले और टिकाऊ मत्स्य उद्योग के निर्माण के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जनवरी 2024 में रिश्तों में आ गई थी दरार
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर भारत के लक्षद्वीप द्वीप की तस्वीरें और वीडियो शेयर की थीं, इस पर मालदीव के तीन अधिकारियों ने जनवरी 2024 में सोशल साइट्स पर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं और इंडिया आउट का नारा भी दिया गया था, इसके बाद भारत में लोगों ने मालदीव की यात्रा निरस्त करना शुरू कर दी थी, इस साल के अंत में मुइज्जू भारत की यात्रा पर आये, जिसके बाद हालात सुधरने शुरू हुये और अब दोनों देश गहरी मित्रता की ओर बढ़ गये हैं।
ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और जुर्माना लगाया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 1 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की। उन्होंने एक सोशल साइट्स पोस्ट में लिखा कि याद रखें, भारत हमारा मित्र है लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में हमने उसके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उसके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं, दुनिया में सबसे ज्यादा हैं और किसी भी देश की तुलना में उसके यहां सबसे कठोर और अप्रिय गैर-मौद्रिक व्यापार प्रतिबंध हैं, इसके अलावा उन्होंने हमेशा अपने अधिकांश सैन्य उपकरण रूस से खरीदे हैं और चीन के साथ, वे रूस के सबसे बड़े ऊर्जा खरीदार हैं, ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्यायें रोके- सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को 1 अगस्त से 25% टैरिफ और उपरोक्त के लिये जुर्माना देना होगा।
भारत सरकार देशहित को सर्वोपरि रखेगी
भारत सरकार ने कहा है कि वह इस बयान के असर का गंभीरता से अध्ययन कर रही है और भारत के हितों की रक्षा के लिये सभी जरूरी कदम उठायेगी। सरकार ने बताया कि भारत और अमेरिका पिछले कुछ महीनों से एक निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक लाभदायक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिये बातचीत कर रहे हैं। भारत उस उद्देश्य के लिये प्रतिबद्ध है। भारत सरकार ने कहा कि सरकार किसानों, उद्यमियों और एमएसएमई के कल्याण की रक्षा और कल्याण को सबसे ज्यादा अहमियत देती है। सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये सभी जरूरी कदम उठायेगी, जैसा कि ब्रिटेन के साथ आर्थिक और व्यापार समझौते सहित अन्य व्यापार समझौतों के मामले में किया गया है।
(लेखक, दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक गौतम संदेश के संपादक हैं)