लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश पुलिस साइबर अपराधों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने कल्ली पश्चिम, लखनऊ में राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 के नए कॉल सेंटर का उद्घाटन करते हुए बताया कि प्रदेश में साइबर अपराधों की रोकथाम और त्वरित समाधान के लिए प्रत्येक जोनल मुख्यालय पर प्रशिक्षित साइबर कमांडो अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
1930 हेल्पलाइन सेंटर को 30 सीटों के साथ किया गया विस्तारित
अब तक यूपी 112 मुख्यालय पर 20 सीटों के साथ क्रियाशील साइबर हेल्पलाइन को बढ़ाकर 30 सीटों के उच्च स्तरीय कॉल सेंटर में बदला गया है, जो 24×7 सेवा देगा। इसमें 94 पुलिसकर्मी (आरक्षी से लेकर निरीक्षक तक) नियुक्त किए गए हैं। 50 कॉलर लगातार ड्यूटी पर रहेंगे, जो वित्तीय साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतों को दर्ज कर समन्वयित एजेंसियों तक पहुंचाएंगे।
सीएफएमसी (CFMC) की शुरुआत होगी: बैंक, टेलीकॉम और पुलिस एक छत के नीचे
इस नए सेंटर में Cyber Fraud Mitigation Centre (CFMC) की भी स्थापना होगी, जहाँ बैंक, टेलीकॉम कंपनियों और पुलिस के प्रतिनिधि मिलकर कार्य करेंगे। इससे प्रत्येक पीड़ित को त्वरित सहायता मिल सकेगी और समय पर धन की रिकवरी या रोकथाम संभव होगी।
साइबर थानों में अब ₹5 लाख की सीमा नहीं
2020 में स्थापित साइबर थानों में पहले ₹5 लाख से अधिक की धोखाधड़ी के ही मामले दर्ज होते थे। लेकिन अब, हर प्रकार के ऑनलाइन वित्तीय अपराध दर्ज किए जाएंगे। प्रदेश में 57 नए साइबर थाने वर्ष 2023 में खोले गए, जिससे अब हर जिले में ऐसी शिकायतों पर कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकेगी।
हर जोन में तैनात होंगे प्रशिक्षित साइबर कमांडो
अब प्रत्येक जोनल मुख्यालय पर एक साइबर कमांडो अधिकारी नियुक्त होंगे, जो पूरे जोन के जिलों और कमिश्नरेट के विवेचकों को तकनीकी और विशेषज्ञता सहायता देंगे। 15 पुलिसकर्मी पहले ही छह माह का साइबर कमांडो कोर्स उच्च शिक्षण संस्थानों से पूर्ण कर चुके हैं।
आईटी एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव: अब उपनिरीक्षक भी कर सकेंगे विवेचना
DGP ने बताया कि सरकार से अनुरोध किया गया है कि आईटी एक्ट में संशोधन कर विवेचक का स्तर निरीक्षक से घटाकर उपनिरीक्षक किया जाए, जिससे एफआईआर पंजीकरण और मामलों का शीघ्र निस्तारण हो सके।
एफआईआर के बिना धनवापसी का प्रस्ताव उच्च न्यायालय में
सीएफसीएफआरएमएस (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) के तहत, पीड़ित के आवेदन पर बिना एफआईआर के धनराशि फ्रीज कर वापस दिलाने के लिए एक प्रस्ताव इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
त्रिस्तरीय साइबर जांच और डिजिटल प्रयोगशालाएं होंगी स्थापित
मुख्यालय, रेंज, कमिश्नरेट और जनपद स्तर पर एक त्रिस्तरीय साइबर इन्वेस्टिगेशन व डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशाला प्रणाली तैयार की जा रही है, जिससे जटिल मामलों की जांच और निष्पादन की गति तेज होगी।
साइबर ट्रेनिंग पर ज़ोर, 38,550 सर्टिफिकेट जारी
I4C द्वारा संचालित साइट्रेन पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के 11,683 पुलिसकर्मियों को 38,550 सर्टिफिकेट प्रदान किए जा चुके हैं। इसके अलावा NCTC और CFSL जैसी संस्थाओं से भी नियमित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रत्येक महीने मनाया जाएगा साइबर जागरूकता दिवस
हर महीने के प्रथम बुधवार को साइबर जागरूकता दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत, ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, डिजिटल वॉलंटियर्स व नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा अभियान चलाए जाएंगे।
निष्कर्ष
डीजीपी राजीव कृष्ण के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पुलिस अब साइबर अपराधों से लड़ने के लिए एक तकनीकी और व्यावसायिक दृष्टिकोण अपना रही है। 1930 हेल्पलाइन सेंटर का विस्तार, CFMC की स्थापना, जोनल साइबर कमांडोज़ की नियुक्ति, और हर स्तर पर प्रशिक्षण व जागरूकता का अभियान — ये सभी कदम आने वाले वर्षों में यूपी को साइबर अपराधों के खिलाफ मजबूत किला बना देंगे।