नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत की राजधानी में एक महत्वपूर्ण राजनयिक घटना के तहत चार देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपने-अपने परिचय पत्र (Credentials) प्रस्तुत किए। यह आयोजन राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक गरिमा और औपचारिकता के साथ संपन्न हुआ।
इस आयोजन में डोमिनिकन गणराज्य, तिमोर-लेस्ते, श्रीलंका और गैबोनीज़ गणराज्य के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और भारत के साथ राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया।
राष्ट्रपति भवन में हुआ औपचारिक समारोह
29 जुलाई को आयोजित इस भव्य समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु ने चारों देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। राजनयिकों ने पारंपरिक पोशाकों और राजकीय सम्मान के साथ अपनी-अपनी पहचान पेश की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में गहरे संबंधों की आशा जताई।
कौन-कौन से राजदूतों ने परिचय पत्र प्रस्तुत किए?
1. डोमिनिकन गणराज्य के राजदूत: फ्रांसिस्को मैनुअल कॉम्प्रेस हर्नांडेज़
डोमिनिकन गणराज्य के राजदूत हर्नांडेज़ ने अपनी प्रस्तुतियों में भारत के साथ पर्यटन, शिक्षा और व्यापारिक संबंधों के विस्तार की आशा व्यक्त की। कैरिबियन क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को मज़बूत करने के लिए यह संबंध महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
2. तिमोर-लेस्ते के राजदूत: कार्लिटो नून्स
तिमोर-लेस्ते के राजदूत नून्स ने कहा कि भारत उनके देश के स्वतंत्रता संग्राम का एक सच्चा समर्थक रहा है और अब आर्थिक सहयोग एवं शिक्षा के क्षेत्र में नई साझेदारियों की अपेक्षा की जा रही है।
3. श्रीलंका की उच्चायुक्त: प्रदीपा महिशिनी
श्रीलंका की नई उच्चायुक्त प्रदीपा महिशिनी का यह कार्यभार ऐसे समय में आया है जब भारत और श्रीलंका के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और तमिल समुदाय के मुद्दों पर गहन संवाद चल रहा है।
4. गैबोनीज़ गणराज्य के उच्चायुक्त: गाय रोड्रिग डिकाय
अफ्रीकी राष्ट्र गैबोन के उच्चायुक्त डिकाय ने ऊर्जा और खनिज संसाधनों में भारत के साथ निवेश और सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही।
भारत की “अंतरराष्ट्रीय मैत्री नीति” में नया अध्याय
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत पर विश्वास रखता है और सभी राष्ट्रों के साथ पारस्परिक सम्मान और सहयोग के सिद्धांतों के आधार पर संबंधों को मजबूत करने का इच्छुक है। इस अवसर पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की भूमिका को “विश्वगुरु से सहयोगी शक्ति” की ओर परिवर्तित होते हुए बताया।
रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं ये संबंध
विशेषज्ञों का मानना है कि ये चारों देश भले ही क्षेत्रीय विविधताओं में बंटे हों, परंतु भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम हैं।
डोमिनिकन गणराज्य कैरिबियन में भारत की पहुंच बढ़ाने में सहायक होगा।
तिमोर-लेस्ते भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को मजबूती देने वाला एक अहम खिलाड़ी है।
श्रीलंका भारत का पड़ोसी और ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से जुड़ा हुआ है।
गैबोन अफ्रीका में भारत की ऊर्जा सुरक्षा और खनिज जरूरतों के लिए एक विश्वसनीय सहयोगी बन सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
भारत इन चारों देशों के साथ तकनीकी, डिजिटल परिवर्तन, चिकित्सा, फार्मास्यूटिकल्स, पर्यावरणीय सहयोग, और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्रों में साझेदारी को आगे बढ़ाने का इच्छुक है।
राजदूतों द्वारा प्रस्तुत किए गए परिचय पत्र न केवल औपचारिक पहचान हैं, बल्कि वे भारत के साथ उनके देशों के भविष्य के कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सहयोग की शुरुआत का संकेत भी हैं।