Sunday, October 19, 2025
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फिंगर क्लोन के जरिए मुफ्त राशन वितरण में अरबों के घोटाले: बायोमेट्रिक प्रणाली बनी भ्रष्टाचार का हथियार

नई दिल्ली, 28 जुलाई (वेब वार्ता)। डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार नई तकनीकों को अपनाने में जुटी हैं। खासतौर पर सरकारी योजनाओं को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली को आधार बनाया गया है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि अब यही तकनीक भ्रष्टाचार का सुरक्षित साधन बन गई है।

देशभर में फिंगर क्लोनिंग के जरिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में मुफ्त राशन वितरण में अरबों रुपए के घोटाले सामने आ रहे हैं। अपराधियों ने सिलिकॉन फिंगर क्लोन तैयार कर डिजिटल सिस्टम की चूकों को बखूबी भुनाया है।


कैसे होता है फिंगर क्लोनिंग का घोटाला?

  1. सभी राज्यों में बायोमेट्रिक सिस्टम के जरिए राशन वितरण होता है।

  2. दुकानदारों और दलालों की मिलीभगत से बोगस राशन कार्ड बनाए जाते हैं।

  3. इन कार्डधारकों के अंगूठे का सिलिकॉन क्लोन तैयार कर लिया जाता है।

  4. हर महीने फर्जी उपभोक्ताओं के नाम पर राशन उठाया जाता है और खुले बाजार में बेच दिया जाता है।


भीलवाड़ा से उजागर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हाल ही में एक ऐसा गिरोह पकड़ा गया जो 300-500 रुपये में फिंगर क्लोन बना रहा था। जांच में सामने आया कि ये सिलिकॉन क्लोन न केवल राशन दुकानों बल्कि बैंकों, मनरेगा और आधार सत्यापन जैसे क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जा रहे थे।


फिंगर क्लोन कैसे बनाया जाता है?

  1. पहले खाली कागज पर अंगूठे का निशान लिया जाता है।

  2. फिर स्कैनर और फोटोशॉप की मदद से इमेज को साफ किया जाता है।

  3. उसके बाद 3D इमेज तैयार कर पॉलीमर से फिंगरप्रिंट की मोल्डिंग की जाती है

  4. अंत में सिलिकॉन रबर की मदद से क्लोन तैयार किया जाता है।

यह फर्जी अंगूठा असली से भी बेहतर काम करता है और कोई भी बायोमेट्रिक मशीन इसे पकड़ नहीं पाती।


अन्य सरकारी योजनाओं में भी हो रहा दुरुपयोग

  • आधार आधारित बैंकिंग में क्लोन अंगूठों की मदद से ₹10,000 तक नकद निकासी की जा रही है।

  • मनरेगा मजदूरी, जनधन खाते, पेंशन वितरण, सरकारी स्कॉलरशिप – सभी योजनाएं इससे प्रभावित हो रही हैं।

  • कुछ राज्यों में बायोमेट्रिक हाजिरी सिस्टम को भी इसी तकनीक से चकमा दिया जा रहा है।


सरकारी दावों की खुल रही पोल

केंद्र सरकार और राज्य सरकारें लगातार दावा कर रही हैं कि डिजिटल तकनीक के चलते भ्रष्टाचार पर रोक लगी है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। अपराधी हर बार नई तकनीक के लिए तोड़ निकाल लेते हैं। बायोमेट्रिक सिस्टम, जो कभी भ्रष्टाचार रोकने का हथियार था, आज भ्रष्टाचार का सबसे सुरक्षित रास्ता बन गया है।


निष्कर्ष

डिजिटल इंडिया की बुनियाद को ही खोखला करने वाले इस घोटाले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि तकनीक तभी प्रभावी होती है जब उस पर नियंत्रण भी मजबूत हो। फिंगर क्लोनिंग जैसी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत निगरानी, आधुनिक मशीनें और ईमानदार क्रियान्वयन तंत्र की आवश्यकता है।

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