नई दिल्ली/झालावाड़, (वेब वार्ता)।
राजस्थान (Jhalawar School Collapse) के झालावाड़ जिले के एक सरकारी स्कूल में 25 जुलाई को हुई दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 मासूम छात्रों की जान चली गई और 21 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा उस वक्त हुआ जब बच्चे सुबह की प्रार्थना के लिए कक्षा में इकट्ठा हुए थे।
इस भयावह घटना ने स्कूलों में बुनियादी संरचनात्मक सुरक्षा की कमी और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी। हादसे के बाद केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार ने त्वरित और कठोर कदम उठाए हैं। शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के स्कूलों में तत्काल प्रभाव से “सुरक्षा ऑडिट” अनिवार्य कर दिया है।
(Jhalawar School Collapse) हादसे की भयावहता: 7 मासूमों की मौत, 21 घायल
यह हादसा शुक्रवार सुबह करीब 9:15 बजे हुआ, जब स्कूल की पुरानी छत अचानक भरभराकर गिर गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रों ने दरारें देखीं और शिक्षक को सतर्क किया, लेकिन स्थिति को नजरअंदाज कर दिया गया। कुछ ही क्षणों में छत का हिस्सा गिर गया, जिससे कक्षा में मौजूद कई बच्चे मलबे में दब गए।
स्थानीय लोग, पुलिस और जिला प्रशासन की मदद से राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। गंभीर रूप से घायल छात्रों को झालावाड़ और कोटा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
केंद्र सरकार का सख्त रुख: सुरक्षा ऑडिट और जवाबदेही
इस हादसे की गंभीरता को देखते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्कूल सुरक्षा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय की अधिसूचना के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट
हर स्कूल में संरचनात्मक स्थिरता, बिजली वायरिंग, अग्निशमन व्यवस्था, आपातकालीन निकास, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली की गहन जांच अनिवार्य की गई है। यह ऑडिट राज्य सरकारों की निगरानी में किया जाएगा और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की गाइडलाइंस के अनुरूप होगा।
2. 24 घंटे में रिपोर्टिंग अनिवार्य
भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना या ‘निकट दुर्घटना’ की स्थिति में, संबंधित स्कूल को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। रिपोर्ट नहीं देने या जानकारी छुपाने पर संस्था और प्रशासन की जवाबदेही तय की जाएगी।
3. आपदा प्रबंधन और मनो-सामाजिक सहायता
मंत्रालय ने स्कूल स्टाफ और छात्रों को आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन अभ्यास और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श देने का भी प्रस्ताव रखा है। इससे छात्रों को किसी आपात स्थिति में समुचित प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित होगी।
राज्य सरकार की कार्यवाही: राजस्थान में हाई लेवल कमेटी
राजस्थान सरकार ने हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में PWD, शिक्षा, नगर विकास, स्वास्थ्य और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल हैं। इनका काम होगा:
राज्य के सभी स्कूलों और सरकारी भवनों की संरचनात्मक समीक्षा करना
खतरनाक भवनों की सूची बनाना
मरम्मत व पुनर्निर्माण हेतु बजट तैयार करना
भवनों की नियमित निगरानी की व्यवस्था करना
🗣 राज्य शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का बयान:
“मैं शिक्षा मंत्री होने के नाते इस दर्दनाक हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और राज्य भर में जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत की जाएगी।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सामाजिक आक्रोश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए कहा:
“मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। घायल बच्चों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। प्रशासन हरसंभव सहायता दे रहा है।”
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने घटना को गंभीर लापरवाही करार देते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सज़ा देने की मांग की।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पूरे राज्य में सुरक्षा ऑडिट करवाने की मांग की।
दूसरे राज्यों में भी सतर्कता
उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी इस घटना के बाद सभी स्कूल भवनों की समीक्षा शुरू कर दी गई है।
📋 सारांश टेबल
पहल | मुख्य बातें |
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सुरक्षा ऑडिट | संरचनात्मक स्थिरता, अग्नि सुरक्षा, वायरिंग, आपात मार्ग, मानसिक स्वास्थ्य सहित ऑडिट अनिवार्य |
प्रशिक्षण व तैयारी | प्राथमिक चिकित्सा, आपदा अभ्यास, सुरक्षित निकासी, mock drills |
24‑घं[‘घंटों की रिपोर्टिंग | किसी भी करीब‑बहादुर घटना पर रिपोर्ट 24 घंटे में अनिवार्य |
मनो‑सामाजिक सहायता | काउन्सलिंग, peer support, सामुदायिक संलग्नता |
राज्य कदम | राज्य/जिला स्तर पर स्थायी निगरानी समितियाँ, मरम्मत और आर्थिक संसाधन सुनिश्चित करना |
निष्कर्ष: एक चेतावनी और अवसर
झालावाड़ की घटना ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि देशभर में हजारों स्कूल जर्जर स्थिति में चल रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की यह संयुक्त पहल अगर सही तरह से लागू होती है, तो यह लाखों बच्चों के लिए सुरक्षित, संरक्षित और संवेदनशील शिक्षा वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।