Monday, October 20, 2025
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़ें

फ्रांस ने फिलिस्तीन को दी देश के रूप में मान्यता, इजरायल भड़का

गाजा युद्ध के बीच मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र में औपचारिक घोषणा की तैयारी की

पेरिस, (वेब वार्ता)। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है, जब गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष के चलते हज़ारों लोग जान गंवा चुके हैं और लाखों नागरिक मानवीय संकट से जूझ रहे हैं।

मैक्रों ने इस घोषणा की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दी और बताया कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस फैसले को औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया जाएगा।

उन्होंने कहा,

“आज सबसे महत्वपूर्ण यह है कि गाजा में युद्ध रुके, निर्दोष नागरिकों की रक्षा हो और फिलिस्तीन को एक व्यवहारिक राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में ठोस पहल की जाए।”

शांति स्थापना के लिए मैक्रों का खाका

राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने संदेश में शांति बहाली की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कुछ प्रमुख शर्तें भी रखीं—

  • गाजा में तत्काल युद्धविराम

  • सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई

  • व्यापक मानवीय सहायता

  • हमास का असैन्यीकरण (डीमिलिट्राइजेशन)

  • गाजा का पुनर्निर्माण और सुरक्षा व्यवस्था

  • स्वतंत्र फिलिस्तीन की स्थापना और इजरायल को पूर्ण मान्यता

उन्होंने यह भी कहा कि एक ऐसा फिलिस्तीनी राष्ट्र, जो क्षेत्रीय सुरक्षा का सम्मान करता हो, पूरे मध्य-पूर्व में स्थिरता ला सकता है।

इजरायल ने कहा – “फ्रांस ने आतंकवाद को समर्थन दिया”

फ्रांस के इस फैसले पर इजरायल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
इजरायल के उपप्रधानमंत्री और न्याय मंत्री यारिव लेविन ने बयान जारी करते हुए कहा,

“फ्रांस का यह फैसला न केवल शर्मनाक है, बल्कि इसके जरिए वह आतंकवाद को सीधा समर्थन दे रहा है। यह फ्रांस के इतिहास पर एक काला धब्बा है।”

लेविन ने यहां तक कह दिया कि अब समय आ गया है कि इजरायल पश्चिमी तट पर अपनी संप्रभुता को औपचारिक रूप से लागू करे, जो 1967 से इजरायल के नियंत्रण में है।

मैक्रों के रुख में बड़ा बदलाव

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों के बाद मैक्रों ने इजरायल को खुला समर्थन दिया था और यहूदी विरोधी घटनाओं की खुलकर आलोचना की थी। लेकिन गाजा में इजरायली सैन्य कार्रवाई और नागरिकों की मौतों के चलते फ्रांस के रुख में बदलाव देखा जा रहा है।

फ्रांस पश्चिमी यूरोप का पहला बड़ा और प्रभावशाली देश है जिसने फिलिस्तीन को पूर्ण मान्यता देने की पहल की है।

फ्रांस में यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी के साथ-साथ यहूदियों की बड़ी आबादी भी निवास करती है, ऐसे में यह फैसला देश की आंतरिक राजनीति और सामाजिक समीकरणों पर भी असर डाल सकता है।

वैश्विक असर

इस कदम के कई अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हो सकते हैं—

  • यूरोपीय संघ के अन्य देशों पर भी फिलिस्तीन को मान्यता देने का दबाव बढ़ सकता है।

  • इजरायल और फ्रांस के द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ सकती है।

  • संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की स्थिति को बल मिलेगा।

  • अमेरिका की मध्य-पूर्व नीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

अब देखना यह होगा कि क्या फ्रांस का यह फैसला मध्य-पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में सकारात्मक पहल बनेगा, या इससे भू-राजनीतिक हालात और अधिक उलझेंगे।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest

More articles