झालावाड़/जयपुर, (वेब वार्ता)। राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना क्षेत्र स्थित पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की छत गिरने से पाँच मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि करीब 20 छात्र घायल हो गए। यह दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ जब कक्षा में पढ़ाई चल रही थी और बच्चे भवन के भीतर मौजूद थे।
घटना की जानकारी मिलते ही पूरे इलाके में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई। मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं, वहीं राज्य सरकार और प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
शिक्षा मंत्री ने हादसे की पुष्टि की, दौरा रद्द कर पहुंचे झालावाड़
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भरतपुर में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि हादसे में पाँच बच्चों की मौत हुई है और लगभग 20 बच्चे घायल हुए हैं, जिन्हें तत्काल नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि हादसे की खबर मिलते ही उन्होंने अपना भरतपुर का दौरा रद्द कर झालावाड़ के लिए रवाना हो गए।
मंत्री ने बताया कि हादसे की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल को भी घटनास्थल पर भेजा गया है। जिला कलेक्टर सहित प्रशासनिक अमला मौके पर राहत कार्यों में जुटा है।
जर्जर भवन बना मौत का सबब
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, विद्यालय का भवन काफी पुराना और जर्जर स्थिति में था। बारिश के चलते छत कमजोर हो चुकी थी और शुक्रवार सुबह अचानक भरभराकर गिर गई। हादसे के समय कक्षा में तीस से अधिक छात्र उपस्थित थे।
राज्य सरकार के पास ऐसे भवनों की मरम्मत के लिए ₹200 करोड़ का बजट है, लेकिन साफ दिख रहा है कि जमीनी स्तर पर मरम्मत और निरीक्षण कार्य गंभीरता से नहीं लिया गया।
नेताओं ने जताया दुख, राहत और मुआवज़े की मांग
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी और कई वरिष्ठ नेताओं ने हादसे पर गहरा शोक जताया है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे को “हृदयविदारक” बताते हुए अधिकारियों को घायलों के इलाज की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारी बारिश के कारण भवन गिरा, लेकिन इस हादसे की पूरी जवाबदेही तय होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इसे प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम बताया।
सवालों के घेरे में सरकारी स्कूलों की स्थिति
यह घटना एक बार फिर राज्य के सरकारी स्कूल भवनों की जर्जर हालत को उजागर करती है। पूरे राजस्थान में हजारों स्कूल ऐसे हैं, जिनकी इमारतें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। कई बार प्रशासनिक लापरवाही और बजट की अनुपलब्धता के चलते इन पर समय पर मरम्मत नहीं हो पाती, जिससे ऐसी जानलेवा घटनाएं होती हैं।
मांगें और अगली कार्रवाई
पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवज़ा और राहत दी जाए
सभी सरकारी स्कूल भवनों का सुरक्षा ऑडिट कराया जाए
हादसे के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो
घायलों का नि:शुल्क और बेहतर इलाज सुनिश्चित हो
स्थायी नीति के तहत स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार की समयबद्ध योजना बने
निष्कर्ष
पीपलोदी गांव का यह हादसा सिर्फ एक आकस्मिक दुर्घटना नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही प्रशासनिक अनदेखी और अव्यवस्था का परिणाम है। जब तक सरकार स्कूलों को सिर्फ शिक्षा नहीं, सुरक्षा का स्थान भी नहीं मानेगी, तब तक ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाती रहेंगी।
अब वक्त है कि राज्य सरकार सजग और सक्रिय होकर ठोस कदम उठाए, ताकि देश का कोई और बच्चा ऐसी मौत का शिकार न हो।